सोचता हूँ कि हाल क्या होगा ग़म तिरा दिल से जब जुदा होगा मेरा ग़म सुन के और क्या होगा फ़ित्ना-गर मुस्कुरा दिया होगा ख़ूब-रू बेवफ़ा बहुत देखे कोई तुम सा न बेवफ़ा होगा ले चला है दिल उन की महफ़िल में नहीं मा'लूम हश्र क्या होगा कर भलाई को आम दुनिया में कि भलाई का फल भला होगा फ़स्ल-ए-गुल की न बात कर ऐ दोस्त जोश-ए-वहशत मिरा सिवा होगा मा-सिवा साग़र-ओ-सुबू के 'नरेश' और रिंदों के पास क्या होगा