सोज़-ए-ग़म-ए-फ़िराक़ से दिल को बचाए कौन ज़ालिम तिरी लगाई हुई को बुझाए कौन मिट्टी मरीज़-ए-ग़म की ठिकाने लगाए कौन दुनिया तो उन के साथ है मय्यत उठाए कौन तेवर चढ़ा के पूछ रहे हैं वो हाल-ए-दिल रूदाद-ए-ग़म तो याद है लेकिन सुनाए कौन हम आज कह रहे हैं यहाँ दास्तान-ए-क़ैस कल देखिए हमारा फ़साना सुनाए कौन ऐ नाख़ुदा ख़ुदा पे मुझे छोड़ कर तो देख साहिल पे कौन जा के लगे डूब जाए कौन रुस्वा करेगी देख के दुनिया मुझे 'क़मर' इस चाँदनी में उन को बुलाने को जाए कौन