सुब्ह-ए-जुस्तुजू है तू By Ghazal << वो यक-ब-यक उसे दल में उता... वक़्त की तरह तिरे हाथ से ... >> सुब्ह-ए-जुस्तुजू है तू शाम-ए-आरज़ू है तू मैं तो ख़ुश्क सहरा हूँ मेरी आबजू है तू ज़ेवर-ए-तख़य्युल और हुस्न-ए-गुफ़्तुगू है तू कुछ अलग सितारों से चाँद हू-ब-हू है तू सुब्ह है बनारस की शाम-ए-लखनऊ है तू गरचे अब नहीं 'बेताब' फिर भी रू-ब-रू है तो Share on: