सुकूँ-आमोज़ बेताबी है फ़ुर्क़त में फ़ुग़ाँ मेरी ठहरता है जो दिल पहलू में जलती है ज़बाँ मेरी ख़मोशी रंग पैदा कर रही है हसरत-ए-दिल का ज़बान-ए-बे-ज़बानी कह रही है दास्ताँ मेरी तुम्हीं ने जब न हाल-ए-बेकसी-ए-ग़म सुना मेरा मुझे उम्मीद क्या फ़रियाद सुन ले आसमाँ मेरी बयान-ए-बे-कसी पर आ न जाए रहम क्या मा'नी किसी दिन सुन तो लो तुम दिल लगा कर दास्ताँ मेरी बना 'तौफ़ीक़' मिल कर नक़्श-ए-हस्ती-ओ-अदम मेरा कटी दम-भर में मानिंद-ए-शरर उम्र-ए-रवाँ मेरी