सुकूँ मिल गया है क़रार आ गया है किसी पर हमें ए'तिबार आ गया है क़फ़स में भी कैसी बहार आ गई है क़फ़स में जो ज़िक्र-ए-बहार आ गया है उन आँखों को देखा है मख़मूर जब से इन आँखों में भी कुछ ख़ुमार आ गया है मला है दम-ए-सुब्ह-ए-शबनम ने ग़ाज़ा ये क्यूँ रू-ए-गुल पर निखार आ गया है 'मुनव्वर' को देखा तो कुछ लोग समझे सर-ए-बज़्म इक बादा-ख़्वार आ गया है