सुकूत-ए-शब सितारों से हवा जब बात करती है तुम्हारी याद की ख़ुशबू मिरे हर सू बिखरती है वो इक लड़का जो मेरी ज़ात का मेहवर है मुद्दत से मिरे अंदर की लड़की भी उसी के साथ रहती है कभी दिल में मोहब्बत के हसीं मौसम निखरते हैं कभी मुझ से लिपट कर ज़िंदगी भी रक़्स करती है तिरे ख़्वाब और ख़यालों की अगर महफ़िल सजी हो तो कभी गाए तिरे नग़्मे कभी बनती सँवरती है मुझे मेरी मोहब्बत पर बहुत ही मान है 'विशमा' उसी के नाम से अब ज़िंदगी की साँस चलती है