सुना है जब से ख़ुदा का कलाम राहत है हर एक दर्स का मौज़ूअ'-ए-आम राहत है कुदूरतों से कशाइश मिला नहीं करती जहान भर को हमारा पयाम राहत है मैं इख़्तियार के होते हुए कहाँ ख़ुश था हुआ हूँ जब से किसी का ग़ुलाम राहत है मैं दश्त-ओ-शहर-ओ-गुलिस्ताँ में बे-सुकून रहा किया है ज़ात में जब से क़याम राहत है सता सता के परेशान हो गया है अदू कई दिनों से हमें सुब्ह-ओ-शाम राहत है ये आ रही है मिरी सम्त रोकना न उसे सुबुक-रवी से जो महव-ए-ख़िराम राहत है दुखे दिलों से लगावट से बात कर लेना सुकून-ए-दिल के लिए एहतिराम राहत है ये क़स्र-ए-लुत्फ़ बनाया है 'आब्दी' ने मगर मोहब्बतों में फ़क़त इंहिदाम राहत है