सूना सूना दिल का मुझे नगर लगता है अपने साए से भी आज तो डर लगता है बाँट रहा है दामन दामन मेरी चाहत अपना दिल भी किसी सख़ी का दर लगता है महरूमी ने जहाँ बसेरा ढूँड लिया है मुझ को तो वो घर भी अपना घर लगता है मेरी बर्बादी में हिस्सा है अपनों का मुमकिन है ये बात ग़लत हो पर लगता है 'जोश' हूँ मैं दीवाने-पन की उस मंज़िल में जहाँ रक़ीब भी अपना नामा-बर लगता है