सुनता नहीं किसू ही की वो यार देखना कीजो न उस से हाल-ए-दिल इज़हार देखना गुस्ताख़ बे-तरह है तुझ आग़ोश से ये हाथ हो जाएगा गले का तिरे हार देखना तुझ दर पे मिस्ल-ए-नक़्श-ए-क़दम एक उम्र से प्यारे फ़तादा है ये गुनहगार देखना घर तेरे गए पे तुझ कूँ न पाया बिला रक़ीब मुझ को हुआ ये गुल के एवज़ ख़ार देखना शम्-ए-जमाल अपने पे चाहे जो इम्तिहाँ परवाना-वार मुझ को भी यक-बार देखना कोई तीरा-बख़्त मुझ सा भी होगा जहान में तुझ ज़ुल्फ़ से मिला न मुझे तार देखना इस राज़-ए-इश्क़ को कहीं रो रो के शम्अ साँ इज़हार कीजियो न 'जहाँदार' देखना