सूरज तो दे दिया था सितारा भी दे दिया फिर हम ने उस को ख़ाक का ख़िर्क़ा भी दे दिया असलन तो शहर-ए-इश्क़ के मे'मार थे मगर रब ने दयार-ए-दर्द का ठेका भी दे दिया दामन पकड़ के पीछे ये क़ल्लाश थी पड़ी दुनिया को हम ने भीक का कासा भी दे दिया पगड़ी दुकान-ए-संग-तराशी की ली मगर रोकन में कार-खाना-ए-शीशा भी दे दिया था हश्र को ज़माना-ए-मा-क़ब्ल-ए-हस्ती कम सो हम ने अपनी उम्र का अर्सा भी दे दिया पहले उखाड़ी ख़ित्त-ए-दश्त-ए-जुनूँ की बाड़ फिर सर-ज़मीन-ए-ख़ाक का क़ब्ज़ा भी दे दिया उस की नज़र थी हाथ पे सो हम ने इस लिए औज़ार दे दिए सभी पेशा भी दे दिया अपनी तरफ़ से मैं ने 'शफ़क़' ख़्वाब दे दिए फिर उस के बा'द आँख का सुर्मा भी दे दिया