कहीं शो'ला कहीं शबनम, कहीं ख़ुशबू दिल पर वो समन-बू है बहर-रंग बहर-सू दिल पर चमन-ए-रूह से ख़ुशबू-ए-बदन आती है जान पर मौजा-ए-लब नफ़हा-ए-गेसू दिल पर दिल को ख़ुद हौसला-ए-कार-ए-फ़ुसूँ-साज़ी है कि चला था न चला है कोई जादू दिल पर लज़्ज़त-ए-दीद ख़ुदा जाने कहाँ ले जाए आँख होती है तो होता नहीं क़ाबू दिल पर ये तहय्युर है कि नज़्ज़ारा कि अफ़्सून-ए-जमाल सामने पैकर-ए-आहू रम-ए-आहू दिल पर इस कशाकश में कहाँ जाँ के लिए जा-ए-अमाँ दिल है मेहराब-ए-हरम मैं ख़म-ए-अबरू दिल पर जाँ तह-ए-चश्म कि यूँ सैर-ओ-तमाशा ही सही कोई महताब नज़र में कोई मह-रू दिल पर