तड़पना भी देखा न बिस्मिल का अपने मैं कुश्ता हूँ अंदाज़-ए-क़ातिल का अपने न पूछो कि अहवाल ना-गुफ़्ता-बह है मुसीबत के मारे हुए दिल का अपने दिल-ए-ज़ख़्म-ख़ुर्दा के और इक लगाई मुदावा क्या ख़ूब घायल का अपने जो ख़ोशा था सद ख़िर्मन-ए-बर्क़ था याँ जलाया हुआ हूँ मैं हासिल का अपने टक अबरू को मेरी तरफ़ कीजे माइल कभू दिल भी रख लीजे माइल का अपने हुआ दफ़्तर-ए-क़ैस आख़िर अभी याँ सुख़न है जुनूँ के अवाएल का अपने बनाएँ रखें मैं ने आलम में क्या क्या हूँ बंदा ख़यालात बातिल का अपने मक़ाम-ए-फ़ना वाक़िए में जो देखा असर भी न था गोर मंज़िल का अपने