तफ़रीह-ए-चश्म-ओ-दिल को गुलिस्ताँ है शायरी ऐ अहल-ए-ज़ौक़ हासिल-ए-अरमाँ है शायरी मस्ती-ए-कैफ़-ओ-नग़्मा बरसने लगे अगर रक़्स-ए-बहार जल्वा-ए-जानाँ है शायरी है ला-शुऊ'र के लिए तलबीस-ए-अहरमन ईमान हो तो रहमत-ए-यज़्दाँ है शायरी अहल-ए-नज़र ने भर लिए दामन उमीद के गुलहा-ए-रंग रंग-ए-बहाराँ है शायरी हो शेरियत नसीब तो रश्क-ए-चमन बने वहशत हुई यूँही तो बयाबाँ है शायरी शाहिद हैं मेरे क़ौल पे तारीख़ के वरक़ पर्वर्दा-ए-तमद्दुन-ए-इंसाँ है शायरी धुल जाती है जो कौसर-ओ-तसनीम से ज़बाँ जन्नत-निसार-ओ-हूर बदामाँ है शायरी ये फ़ल्सफ़ा ख़ुलासा-ए-हर-क़ील-ओ-क़ाल है मुश्किल अगर नहीं है तो आसाँ है शायरी 'साक़िब' बयाज़-ए-शेर की तरतीब ख़ास हो औराक़-ए-गुल की तरह परेशाँ है शायरी