तेरे बाइ'स मसअला हल हो गया मैं अधूरा था मुकम्मल हो गया जान दी उस ने मैं पागल हो गया और अफ़्साना मुकम्मल हो गया मुझ को ले कर रेल आगे बढ़ गई और गीला उस का आँचल हो गया ये समुंदर किस क़दर था पुर-सुकूँ चाँद को देखा तो पागल हो गया अब मिरी अच्छाइयाँ भी ऐब हैं अब मिरा सोना भी पीतल हो गया हर तरफ़ हंगामा-हा-ए-दार-ओ-गीर क्या ये सारा शहर पागल हो गया ज़ेहन में उतरी थी यादों की बरात रात फिर जंगल में मंगल हो गया एक अफ़्साना अधूरा है अभी एक अफ़्साना मुकम्मल हो गया ख़ुश्क दरियाओं में ख़ाक उड़ने लगी और सहराओं में जल-थल हो गया