तुम कोई इस से तवक़्क़ो' न लगाना मरे दोस्त ये ज़माना है ज़माना है ज़माना मिरे दोस्त सामने तो हो तसव्वुर में कहानी कोई इक हक़ीक़त से बड़ा एक फ़साना मिरे दोस्त मेरे बेटे मैं तुम्हें दोस्त समझने लगा हूँ तुम बड़े हो के मुझे दुनिया दिखाना मिरे दोस्त देख सकता भी नहीं मुझ को ज़रूरत भी नहीं मेरी तस्वीर मगर उस को दिखाना मिरे दोस्त कहने वाले ने कहा देख के चेहरा मेरा ग़म-ए-ख़ज़ाना है इसे सब से छुपाना मिरे दोस्त तेरी महफ़िल के लिए बा'इस-ए-बरकत होगा ना-मुरादान-ए-मोहब्बत को बुलाना मिरे दोस्त तुम को मालूम तो है मुझ पे जो गुज़री 'तैमूर' पूछ कर मुझ से ज़रूरी है रुलाना मिरे दोस्त