ताज़ा आज़ार का अरमान कहाँ जाता है फिर सता ले तिरे क़ुर्बान कहाँ जाता है किस पे दिल आया कहाँ आया बता ऐ नासेह तू मिरी तरह परेशान कहाँ जाता है ख़ानक़ाहों पे हुआ पीर-ए-मुग़ाँ का क़ब्ज़ा आज मय-ख़ाने का सामान कहाँ जाता है दिल सलामत नहीं आने का 'मुबारक' ब-ख़ुदा अरे नादान कहा मान कहाँ जाता है