वो रू-ए-किताबी तो है क़ुरआन हमारा कहते हैं जिसे इश्क़ है ईमान हमारा हाथों की शिकायत है हमें दश्त-ए-जुनूँ में पाँव में उलझता है गरेबान हमारा हर सुब्ह दिखाता है हमें जल्वा परी का बाला-ए-हवा-दार सुलैमान हमारा हैं मर्दुम-ए-ग़म-दीदा के दाँतों की तरह बंद मिस्ल-ए-दहन-ए-नंग है ज़िंदान हमारा हम ख़ाना-ख़राबों से मिले क्या कोई आ कर दरवाज़ा-ए-उफ़्तादा है दरबान हमारा रहता है हमें ध्यान तुम्हारा ही हमेशा तुम को नहीं आता है कभी ध्यान हमारा आ जाए अभी जान में जान आओ अगर तुम तन हिज्र में बे-जान है ऐ जान हमारा बे-खटके तवह्हुश में न क्यूँ दौड़ते फिरिए पहलू में है बे-ख़ार बयाबान हमारा ली जान ख़ुदा ने किसी बुत ने न किया क़त्ल निकला न दम-ए-मर्ग भी अरमान हमारा ली हम ने बला अपने ही सर सब को बचाया ऐ जान है अग़्यार पे एहसान हमारा हर बैत में इक शाहिद-ए-मा'नी की है तस्वीर 'नासिख़' है मुरक़्क़ा' नहीं दीवान हमारा