तलब किया है हमें वक़्त ने तलब की तरह नए मिज़ाज की सूरत नए अदब की तरह बदल चुकी है ज़माने में ये तो सब की तरह हयात अपनी गुज़ारो न बे-अदब की तरह ख़ुदा गवाह कि अब आप मात खाएँगे किसी तरह से भी दीजेगा आप अब की तरह किसी की रात है रौशन नए चराग़ों से हमारा दिन है अभी तक सियाह शब की तरह किसी की चश्म से सैराब हो के पीता हूँ दिखाई देता हूँ दुनिया को तिश्ना-लब की तरह ये वाक़िआ' है कि तब्दीलियों का हामी हूँ मिरा मिज़ाज बदलता है रोज़-ओ-शब की तरह हज़ार कहने को उस ने ख़ुदा बना डाले मिसाल दे नहीं पाया वो मेरे रब की तरह ख़ुदा ने मुझ को नवाज़ा है अपनी रहमत से मुझे समझिए न 'महमूद' आप सब की तरह