तलाश-ए-रंग में आवारा मिस्ल-ए-बू हूँ मैं गुज़र के आप से अपनी ही जुस्तुजू हूँ मैं नफ़स है सख़्ती-ए-क़ैद-ए-हयात का ज़ामिन निकल सके जो न फाँसी से वो गुलू हूँ मैं निशान-ए-हस्ती फ़ानी है दाग़-ए-नाकामी ख़ुद अपनी आँख से टपका हुआ लहू हूँ मैं मिसाल-ए-पैकर-ए-सीमाब-ए-इज़्तिराब मुदाम प-ए-निगाह-ए-करम शरह-ए-आरज़ू हूँ मैं मिरी ज़बाँ पे हैं अंदेशाहा-ए-नाकामी समझ रहे वो दिल में कि हीला-जू हूँ मैं अभी है आब-ए-नदामत सर-ए-जबीं बाक़ी नमाज़ ऐसे मैं पढ़ लूँ कि बा-वज़ू हूँ मैं हूँ कुछ न होने पे भी काएनात का हासिल कि अपना शौक़ नहीं तेरी आरज़ू हूँ मैं मिसाल-ए-मअ'नी-ए-बे-लफ़्ज़-ओ-लफ़्ज़-ए-बे-मअ'नी जो तेरे दिल में नहीं है वो 'आरज़ू' हूँ मैं