हनूज़ इश्क़ में शो'ला सा जल बुझा क्या है न-जाने आज भी वहशत में सर-फिरा क्या है फ़क़ीर आए थे महफ़िल में तेरी सुनने को वो बात तुझ में सुनाने का हौसला क्या है वफ़ा है मुझ से ख़फ़ा और तू ख़फ़ा मुझ से ज़रा ये देख जफ़ा ने तेरी किया क्या है ये मेरा सब्र भी जो काम मेरे आ न सका तो ऐ ख़ुदा ये मिरा तुझ पे आसरा क्या है सदा-ए-शौक़ को महमेज़ कर रही है हवा बिसात अपनी वगर्ना यहाँ सिवा क्या है ये ख़ाक-ए-देस है या है ये ख़ाक-ए-कर्ब-ओ-बला लहू से करते हैं सैराब माजरा क्या है समझना चाहो तो 'ज़हरा' से ज़ीस्त को समझो नफ़्य सबात मन-ओ-तू मोआ'मला क्या है