तमाम फ़लसफ़े बातिल बना दिए गए हैं और अहल-ए-इल्म भी क़ातिल बना दिए गए हैं अक़ीदा ओढ़ने वाले तो थे बरहना रूह फ़क़ीर लोग भी ग़ाफ़िल बना दिए गए हैं किसी का ध्यान गया क्यों न मा-स'आ की तरफ़ दुआ के नाम पे काहिल बना दिए गए हैं उताक़-ए-ज़ेहन की दीवारें ख़ूँ से लत-पत हैं परिंदे फ़ोटो में घाइल बना दिए गए हैं ख़बर मिली थी उसे गीली रेत भाती है तमाम शहर में साहिल बना दिए गए हैं