शदीद रुत में मुझे जिस का डर ज़ियादा था गिरा शजर वही जिस पर समर ज़ियादा था मिरे अदू का कोई वार भी नहीं चूका मिरी सफ़ों में कहीं एक सर ज़ियादा था पलट के आए तो घोड़ों की पुश्तें ख़ाली थीं मिरी सिपाह में मरने का डर ज़ियादा था गुज़िश्ता रात क़याम-ओ-सुजूद में गुज़री गुज़िश्ता रात क़यामत का डर ज़ियादा था बटा है आज तो सब दम घुटे से मरते हैं तमाम भाइयों को एक घर ज़ियादा था