तमाम जल्वे हैं रौशन जमाल-ए-यार है एक हज़ारों फूल खिले हैं मगर बहार है एक शुआएँ लाखों हैं ख़ुर्शीद-ए-ज़र-निगार है एक करोड़ों क़तरे हैं दरिया-ए-बे-कनार है एक भरी हुई हैं शराबें ख़ुमों में रंगा-रंग मज़े हैं सब के जुदागाना पर ख़ुमार है एक करोड़ों बूँदें हैं लेकिन है एक अब्र-ए-मतीर करिश्मे बू-क़लमूँ हैं निगाह-ए-यार है एक हक़ीक़त एक है लेकिन हैं लाख अफ़्साने हज़ारों चश्मे हैं जारी पर आबशार है एक है एक शम्अ-ए-तजल्ली हज़ार परवाने हज़ारों नग़्मे छिड़े हैं मगर सितार है एक बसे हुए हैं हज़ारों दिमाग़ ख़ुशबू से शमीम-ए-सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुश्क-बार है एक है एक ख़्वाब-ए-हक़ीक़त हज़ार ता'बीरें हैं रास्ते मुतफ़र्रिक़ मक़ाम-ए-यार है एक 'वली' ख़लल नहीं कसरत से अस्ल वहदत में हज़ार भी दुर-ए-शहवार हों तो हार है एक