तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ खिलौने दे के बहलाया गया हूँ हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह इधर से मुद्दतों आया गया हूँ नहीं उठते क़दम क्यूँ जानिब-ए-दैर किसी मस्जिद में बहकाया गया हूँ दिल-ए-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनक़-ए-बज़्म मैं ख़ुद आया नहीं लाया गया हूँ सवेरा है बहुत ऐ शोर-ए-महशर अभी बेकार उठवाया गया हूँ सताया आ के पहरों आरज़ू ने जो दम भर आप में पाया गया हूँ न था मैं मो'तक़िद एजाज़-ए-मय का बड़ी मुश्किल से मनवाया गया हूँ लहद में क्यूँ न जाऊँ मुँह छुपा कर भरी महफ़िल से उठवाया गया हूँ कुजा मैं और कुजा ऐ 'शाद' दुनिया कहाँ से किस जगह लाया गया हूँ