तमाशा इक अनोखा सा दिखाना तरद्दुद में खुला चेहरा दिखाना उसे मैं राम कर लूँगा यक़ीनन भरी महफ़िल में बस तन्हा दिखाना हमेशा जोश में रहना नहीं है कभी जज़्बा बहुत धीमा दिखाना अगर कहना हुआ मुश्किल ज़बाँ से इशारों में नई दुनिया दिखाना दिलासे के लिए वो आ गए हैं कोई ज़ख़्मी कोई मुर्दा दिखाना उसे आसान है फ़नकार है वो किसी मग़्मूम को हँसता दिखाना समर पुख़्ता हमारा हो रहेगा शजर के पास तुम ढीला दिखाना ज़रा बहते होई पानी को 'जाफ़र' मिरा तपता हुआ सहरा दिखाना