तन-ए-बे-जाँ में अब रहा क्या है देखिए मर्ज़ी-ए-ख़ुदा क्या है अपनी हालत पे आज रोता है दिल-ए-दीवाना को हुआ क्या है ऐ तबीबो तुम्हें ख़ुदा की क़सम सच बता दो कि माजरा क्या है मैं ख़तावार ही सही लेकिन सुन तो लो पहले माजरा क्या है न खुला आज तक किसी पर भी ख़त-ए-तक़्दीर में लिखा क्या है क्यूँ ये चुप चुप गए अदम वाले या-इलाही ये माजरा क्या है लब-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर तो हँसते हैं तू ने ऐ बख़िया-गर सिया क्या है दिल तो क्या जान इश्क़ में दे दी ये न पूछा कि मुद्दआ' क्या है उठ के पिछले से आहों का भरना 'शौक़' तेरा ये मश्ग़ला क्या है