तन्हा चाँद को देखा होगा कोई याद तो आया होगा ज़ब्त का शीशा चटख़ा होगा याद ने कंकर फेंका होगा सावन की भीगी ख़ुशबू ने साँसों को सुलगाया होगा गागर से चिमटी है 'राधा' 'श्याम' जो उस को छूता होगा हम क्या ख़ाक ग़ज़ल लिक्खें जब अंगड़ाई पर पहरा होगा तेरे तेवर देख के अक्सर मौसम रंग बदलता होगा जिस ने प्यार लुटाया उस का आँसू ही सरमाया होगा वस्ल की चाह में तपता सूरज साग़र डूब के रोता होगा सौंप के मौजों को बेचैनी प्यासा साहिल सोता होगा तारा टूटा और दिल धड़का तुझे किसी ने माँगा होगा