तन्हाई मिली मुझ को ज़रूरत से ज़ियादा पढ़ती हैं किताबें मुझे वहशत से ज़ियादा जो माँग रहे हो वो मिरे बस में नहीं है दरख़्वास्त तुम्हारी है ज़रूरत से ज़ियादा मुमकिन है मिरी साँस उखड़ जाए किसी पल ये रास्ता है मेरी मसाफ़त से ज़ियादा आए हैं पड़ोसी मिरे घर ले के शिकायत बातों में वो तल्ख़ी है कि नफ़रत से ज़ियादा ये अतलस ओ कम-ख़्वाब दिखाते हो अबस तुम शाइर को नहीं चाहिए शोहरत से ज़ियादा