तन्हाई तुम्हारी भी ज़रूरत तो नहीं है तुम को भी कहीं दर्द-ए-मोहब्बत तो नहीं है मुँह फेर लिया तुम ने हमें देखने के बाद ये चीज़ तुम्हारी कहीं आदत तो नहीं है वो माँगते हैं आज गुनाहों की मुआ'फ़ी या-रब बता दे आज क़यामत तो नहीं है मैं चाहता हूँ चाँद तुम्हें कह के पुकारूँ फिर सोचता हूँ कोई हिमाक़त तो नहीं है दौलत मिली तो ठीक से मिलने लगे हैं लोग इंसान की पहचान ये दौलत तो नहीं है