तपते सहरा में कोई फूल खिलाने के लिए इतना बेताब न हो ख़ाक उड़ाने के लिए दाव पर जान लगा दी उसे पाने के लिए अब मिरे पास बचा क्या है गँवाने के लिए वज़्अ'-दारी का तहफ़्फ़ुज़ कोई आसान नहीं कितने सर कट गए दस्तार बचाने के लिए कुछ दिया या न दिया हम को ज़माने ने मगर कुछ न कुछ छोड़ के जाएँगे ज़माने के लिए मैं ने भी देख लिया प्यार भरी नज़रों से वो भी पर तौल रहा था इधर आने के लिए हल्के लोगों को न हमराज़ बनाना 'काशिफ़' सूखे पत्ते हैं फ़क़त शोर मचाने के लिए