तारे गिनने के ज़माने अब कहाँ आशिक़ी के वो तराने अब कहाँ कौन मरता है किसी के वास्ते लैला मजनूँ के फ़साने अब कहाँ वो न दरिया और न गहरी चाहतें सोहनी और माही दीवाने अब कहाँ कौन चीरेगा पहाड़ों के जिगर तेशा-ए-फ़र्हाद जाने अब कहाँ आँखों आँखों में जो होते थे कभी हीर राँझे के निशाने अब कहाँ सामने आ जाए यूसुफ़ और बस वो ज़ुलेख़ा के बहाने अब कहाँ जाओ जाओ आशिक़-ए-'ख़ानम' कि वो भोले-पन के सब ज़माने अब कहाँ