तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का कि एक सौदा रहा जिंस-ए-दिल लुटाने का फ़रेब-ए-ख़्वाब मिरे रास्ते को रोक नहीं कि वक़्त-ए-शाम है ये ग़म-कदे को जाने का तिरे वजूद से पहचान मुझ को अपनी थी तिरा यक़ीन था मुझ को यक़ीं ज़माने का ख़राब-ए-इश्क़ हूँ ख़ुद मौत हूँ मैं अपने लिए सिखा रही हूँ हुनर ख़ुद को दिल जलाने का हर एक शाख़-ए-सितम से मैं फूल तोड़ती हूँ हुआ है शौक़ चमन-ज़ार-ए-ग़म बनाने का नशा अजीब है इस जंग-ए-बे-समर का मुझे ख़ुमार ख़ूब है ख़ून-ए-ख़िरद बहाने का शब-ए-विसाल में इक नुक़्ता-ए-तवक्कुफ़ हूँ और इक जुनूँ है उसे मंज़िलों को पाने का दिल-ए-तबाह को बे-दाम बेच देती हूँ कि कारोबार है ये जिंस-ए-ग़म कमाने का मुझे अज़ीज़ है बे-एहतियाती-ए-सादा न शौक़ है न हुनर उस को आज़माने का क़फ़स बदन का मुझे कुछ मिरा सुबूत नहीं ये ताइर-ए-दिल-ओ-जाँ लौट कर न आने का