तअय्युन तसलसुल है नक़्श-ए-बदन का उसी से तअ'ल्लुक़ है ये जान-आे-तन का तसव्वुफ़ तबद्दुल है आदात-ए-बद का तअर्रुफ़ नतीजा है ख़ुल्क़-ए-हसन का वही गुल शजर है वही बोस्ताँ है वही आप है बाग़बाँ इस चमन का वो बे-कैफ़-ओ-कम है क़दीम-ओ-अज़ल से उसी से है ये नक़्श-ए-दहर-ए-कुहन का तवल्ला समझ हम-ज़बानी से बेहतर तअश्शुक़ हुआ हम-दम-ओ-हम-सुख़न का रम-ओ-शौक़ की भी अजाइब कशिश है बुरा हाल है आशिक़-ए-ख़स्ता-तन का जो सिर्र-ए-ख़फ़ी है वो ऐन-ए-जली है खुला आज उक़्दा ये सिर्र-ए-दहन का लताइफ़ में मुज़्मर है तस्वीर-ए-वहदत ये ख़ल्वत में पैदा है लुत्फ़ अंजुमन का नज़र बर-क़दम है तरीक़-ए-तसव्वुर रम-ओ-शौक़ जादा है सिर्र-ओ-एलन का निहाँ से अयाँ है अयाँ में निहाँ है ये जादा मिला है सफ़र दर-वतन का सुलूक-ए-तरीक़त है आफ़ाक़-ओ-अन्फ़ुस कि जल्वा है तनज़ीह में सीम-तन का वो बे-पर्दा भी पर्दा-पोश-ए-नज़र है हिजाब आ गया है हमें हुस्न-ए-ज़न का कभी शाद-ओ-ख़ंदाँ कभी ज़ार-ओ-नालाँ तमाशा है 'साक़ी' के दीवाना-पन का