तेज़ है मेरा क़लम तलवार से दोस्त ख़ाइफ़ हैं मिरी रफ़्तार से जेब में कुछ भी नहीं था इस लिए लौट कर मैं आ गया बाज़ार से झोलियाँ भर भर के जाते हैं सभी नौशा-ए-लजपाल के दरबार से फिर रसाई में नहीं रह पाया वो चाँद ऊपर हो गया दीवार से आप ग़ुस्से में रहें और मेरे दोस्त लूट कर सब ले गए हैं प्यार से एक दिल टूटा हुआ है एक मैं और कुछ जज़्बात हैं बे-कार से थोड़ा थोड़ा ख़ुद से मैं ख़ाइफ़ रहा थोड़ा थोड़ा ग़ैब के असरार से