तिरा फ़िराक़ भी क़ुर्बत भी एक मसअला है हमारे साथ मोहब्बत भी एक मसअला है तुम्हारे शहर में दाख़िल हुए तो याद आया तुम्हारे शहर से हिजरत भी एक मसअला है तुम्हारे शहर में आ कर रहे तो हम पे खुला हमारी गाँव से निस्बत भी एक मसअला है हमें किसी ने बताया था हाथ मलते हुए ज़र-ओ-ज़मीन भी औरत भी एक मसअला है अदम वजूद की चाहत तो मसअला है मगर अदम वजूद से नफ़रत भी एक मसअला है हमारे गाँव की मिट्टी में ख़्वाब उगते हैं हमारे गाँव में ग़ुर्बत भी एक मसअला है ख़याल-ओ-ख़्वाब की बेबाकियों के पेश-ए-नज़र ख़याल-ओ-ख़्वाब में ख़ल्वत भी एक मसअला है तुम्हें हमारे लिए वक़्त ही नहीं मिलता हमारे वास्ते फ़ुर्सत भी एक मसअला है