ख़्वाहिश-ए-दीद लिए दहर में आए हुए हैं दिल भी तोड़े हैं बहुत बुत भी बनाए हुए हैं नाम मेरा अबू-सुफ़ियान नहीं है लेकिन मेरी हिंदा ने बहुत दिल भी चबाए हुए हैं आलसी छोड़ न मिलने के बहाने न बना यार हम लोग बहुत दूर से आए हुए हैं आसमानों में सितारे भी नहीं हैं इतने ज़ख़्म जितने मिरे सीने में समाए हुए हैं यानी ये दिल तिरे हाथों से नहीं टूटा है यानी हम लोग ज़माने के सताए हुए हैं