तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ बचपने का साथ है फिर एक से दोनों के दुख रात का और मेरा आँचल भीगता है साथ साथ वो अजब दुनिया कि सब ख़ंजर-ब-कफ़ फिरते हैं और काँच के प्यालों में संदल भीगता है साथ साथ बारिश-ए-संग-ए-मलामत में भी वो हमराह है मैं भी भीगूँ ख़ुद भी पागल भीगता है साथ साथ लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान जिस्म और इकलौता कम्बल भीगता है साथ साथ