तिरा महबूब तिरा प्यार कोई और है ना अब तिरा यार मिरे यार कोई और है ना किस तरह आप ये बे-पर्दा चले आए हैं आप की दीद का हक़दार कोई और है ना तिरी आँखों से ये गौहर जो निकल आता है इस के आने का सबब ज़ार कोई और है ना मैं ने देखा है तिरी आँख में ये भी हमदम तिरे दिल में है जो असरार कोई और है ना ख़्वा-मख़्वाह तेरे ही चक्कर में पड़ा है ये दिल हुस्न का तेरे परस्तार कोई और है ना दिल-ए-नादाँ को ये समझा दे 'हिरा' ख़ुद ही तू तेरे अफ़्साने का किरदार कोई और है ना