तेरे होने की मिरे दिल को ख़बर होती है हो जहाँ आप उसी ओर नज़र होती है आप जब घर से चलें तो ये फ़ज़ाएँ महकें इन हवाओं में तेरी कोई लहर होती है देख कर एक झलक उन को मुकम्मल हो दिन जुस्तुजू रोज़ यही शाम-ओ-सहर होती है आप ही आप ख़यालों में बसा करते हैं अब कहाँ कोई हमें फ़िक्र-ए-गुज़र होती है एक एहसास-ए-मोहब्बत से बने हैं गुलशन ज़िंदगी उस के बिना गर्द-ए-सफ़र होती है क्या है इज़हार ये इक़रार कहाँ का इंकार प्यार की अपनी ही इक राहगुज़र होती है