तेरे होंटों पे नज़र बाक़ी है किस के होने की ख़बर बाक़ी है कितने ख़ुश-रंग बदन धूल हुए वक़्त की चाल मगर बाक़ी है आज भी ग़म की सलामी के लिए दिल का आबाद नगर बाक़ी है शब की क़िंदील उठाने वाले देख चेहरों पे सहर बाक़ी है दर्द का चेहरा था बर्बाद हुआ दश्त में सूखा शजर बाक़ी है ख़ूँ जवाँ ख़ून से होली खेलो चंद क़दमों का सफ़र बाक़ी है