तेरे जल्वों ने कैसी शर्त रख दी की ख़ुश्बू देखने की शर्त रख दी परिंदों का बसेरा और छतों पर तो क्या पेड़ों ने कोई शर्त रख दी मिरे मालिक ने आँखें तो अता कीं मगर इन में नमी की शर्त रख दी परिंदों की उड़ानें छीन लीं और हदों को नापने की शर्त रख दी सभी थे एकता के हक़ में लेकिन सभी ने अपनी अपनी शर्त रख दी