तेरे लहजे में ये जो शिद्दत है ये कोई अन-कही शिकायत है हिज्र के दुख पे यार हैरत क्या मुस्तक़िल वस्ल भी अज़िय्यत है तुझ को अब भूलने लगा हूँ मैं ये शिकायत नहीं है तोहमत है ख़ुशबुओं से बनाएँगे तुम को रंग से तो बड़ी सुहूलत है देखा जाए तो मर चुके हैं हम साँस लेना तो बस ज़रूरत है तू मिरा है तो मेरे दर्द समझ मुस्कुराना तो मेरी आदत है क्या किया दर्द की दवा ले ली मेरे बीमार तुझ पे ला'नत है मैं बस उस वक़्त अपने पास रहा जब लगा आप की ज़रूरत है तेरे लब हाए तेरे शीरीं लब बोसा ले लूँ अगर इजाज़त है