तीरगी में एक पल का ही सहारा कर गया वो चराग़ों की तरह शब में उजाला कर गया जुस्तुजू ख़्वाहिश तलब हसरत तमन्ना आरज़ू जाते जाते वो सभी जज़्बों को ठंडा कर गया फ़ासला कुछ भी नहीं था जिस्म-ओ-जाँ के दरमियाँ वो मगर उस में भी थोड़ा फ़ासला सा कर गया ये बहुत अच्छा किया कि फेर ली उस ने नज़र कम से कम मेरे यक़ीं को और पक्का कर गया अब्र का वो एक टुकड़ा था बहुत छोटा मगर चिलचिलाती धूप में कुछ देर साया कर गया इस क़दर दुश्वारियों का ये बड़ा एहसान है हादसों का सिलसिला ईमान पुख़्ता कर गया ख़्वाब आँखों को दिखा कर सारे मंज़र ले लिए मुझ को बीनाई अता कर के वो अंधा कर गया मैं उसे इल्ज़ाम दूँ 'मश्कूर' ये मुमकिन नहीं वो मेरे अल्फ़ाज़ ले कर मुझ को गूँगा कर गया