तेरी आँखों के दो सितारे थे By Ghazal << पड़ गई दिल में तिरे तशरीफ... मिरे लिए तिरी नज़रों की र... >> तेरी आँखों के दो सितारे थे जिन पे हम दो जहान हारे थे सारी तारीफ़ थी उसे ज़ेबा जितने बोहतान थे हमारे थे जितनी आँखें थीं सारी मेरी थीं जितने मंज़र थे सब तुम्हारे थे दिन वही उम्र भर का हासिल हैं जो तिरी याद में गुज़ारे थे Share on: