तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी देख ले इस चाँद को कुछ दूर बादल है अभी आँख तो ख़ुद को नए चेहरों में खो कर रह गई दिल मगर उस शख़्स के जाने से बोझल है अभी अब तलक चेहरे पे हैं तूफ़ाँ गुज़रने के निशाँ तह में पत्थर जा चुका पानी पे हलचल है अभी तू तो उन का भी गिला करता है जो तेरे न थे तू ने देखा ही नहीं कुछ भी तू पागल है अभी कर गया सूरज मुझे तन्हा कहाँ ला कर 'नसीम' क्या करूँ मैं रास्ते में शब का जंगल है अभी