तेरी दावत में गर खाना नहीं था तुझे तम्बू भी लगवाना नहीं था मिरा कुर्ता पुराना हो गया है मुझे महफ़िल में यूँ आना नहीं था इमारत में लगा लेता इसे मैं मुझे पत्थर से टकराना नहीं था ये मेरा था सफ़र मैं ने चुना था मुझे काँटों से घबराना नहीं था समझ लेता मैं ख़ुद ही बात उस की मुझे उस को तो समझाना नहीं था तुझे राजा बना देते कभी का मगर अफ़्सोस तू काना नहीं था छुपाते हम कहाँ पर आँसुओं को वहाँ कोई भी तह-ख़ाना नहीं था मोहब्बत तो इबादत थी किसी दिन फ़क़त जी का ही बहलाना नहीं था जहाँ पर युद्ध में शामिल थे सारे वहाँ तुम को भी घबराना नहीं था