तिरी महफ़िल तिरे कूचे का पता याद नहीं फिर भी जीते हैं कि मरने की अदा याद नहीं मैं तो छोड़ आया था इक भीड़ सर-ए-राह-ए-वफ़ा कौन किस मोड़ से कब लौट गया याद नहीं आज दिल पर तपिश-ए-अस्र-ए-रवाँ तारी है आज उस शोख़ की आँचल की हवा याद नहीं लज़्ज़त-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर तल्ख़ी-ए-सहबा-ए-जुनूँ अब कोई चीज़ तिरे ग़म के सिवा याद नहीं ज़ेहन बे-आब चटानों की तरह जलता है तिरी ज़ुल्फ़ें तिरी ज़ुल्फ़ों की घटा याद नहीं आप ने ख़ुद को बताया था मसीह-ए-दौराँ आप को भी मिरे ज़ख़्मों की दवा याद नहीं थी जब इक धूम हदीस-ए-लब-ओ-गेसू 'इशरत' वो ज़माने वो फ़ज़ाएँ ब-ख़ुदा याद नहीं