तिरी यादें हैं दिल में फिर भी वीरानी सी रहती है ख़ुदा जाने अजब लाहक़ परेशानी सी रहती है बदन पर लाख कपड़े हों मगर फिर भी बरहना है अगर इंसाँ के ज़ेहन-ओ-दिल में उर्यानी सी रहती है यही अच्छा है इंसाँ के लिए इंसाँ का दिल रखना दुखाने से किसी का दिल पशेमानी सी रहती है ख़िरद-मंदी ज़माने में अजब ए'जाज़ रखती है मैं जब भी सोचता हूँ घंटों हैरानी सी रहती है मैं तन्हा हूँ मगर एहसास-ए-तन्हाई नहीं मुझ को कि दिल में एक सूरत जानी-पहचानी सी रहती है कभी ऐ काश वो मिल जाए मुझ को ऐसा हो जाए तमन्ना मेरे दिल में एक अनजानी सी रहती है मुझे 'शहज़ाद' तेरी दोस्ती से डर सा लगता है तिरी आँखों में पोशीदा जो नादानी सी रहती है