मोहब्बत जज़्बा है एहसास है और सेहर है जानाँ रग-ओ-पै में सरायत जो करे वो ज़हर है जानाँ अगर फ़ुर्सत मिले तो मेरे दिल में झाँक कर देखो तुम्हारी आरज़ूओं का बसा इक शहर है जानाँ तुम्हारी नीम-वा आँखों में जाने क्या है पोशीदा कि शोख़ी है ग़ज़ब है प्यार है या क़हर है जानाँ किनारे अब लगा दे या डुबो दे उस की मर्ज़ी है कि दिल दरिया की इक बिफरी हुई सी लहर है जानाँ ज़रा सोचो कि हालत होगी क्या 'शहज़ाद' के दिल की वही मौसम गुलाबी है वही सह-पहर है जानाँ