ठहर गया है एक ही मंज़र कमरे में मैं तेरी तस्वीर दिसम्बर कमरे में मैं तेरी यादों की बारिश तेज़ हवा तन्हा भीग रहा है बिस्तर कमरे में मैं दरिया के पार की सोच रहा हूँ और दर आया है एक समुंदर कमरे में ले आई है गलियों में इक आग मुझे छोड़ आया हूँ ठंडा बिस्तर कमरे में ख़ौफ़-ज़दा हैं घर की सारी दीवारें डेरा डाले बैठा है डर कमरे में आँगन में है जारी रक़्स हवाओं का सहमा बैठा एक क़लंदर कमरे में कौन ख़िज़ाँ में फूल खिलाने आया है किस की ख़ुशबू है ये बंजर कमरे में आँगन में है सूने-पन का राज 'औसाफ़' चीख़ रही है तन्हाई हर कमरे में